भारत में निजीकरण के लाभ और हानि|| Pros and Cons of Privatisation in India
क्या होता है निजी करण ? निजीकरण वह स्थिति है जब सरकारें हैं सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी हाथों में देने का निर्णय का लेती है बहुत ही आम शब्दों में यह कहें तो इसका अर्थ इतना ही है कि जो भी सरकारी संस्थाएं हैं उन का मालिकाना हक या फिर कुछ हिस्सेदारी प्राइवेट यानी कि निजी हाथों में सौंप दिया जाए। भारत में इस वर्ष यह विषय बहुत ही चर्चा में रहा करण मौजूदा भारतीय सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियोंके में भारत के कुछ अमीर और बड़े उद्योग पतियों को हिस्सेदारी के लिए आमंत्रित किया है? जब कभी भी कोई राष्ट्र की सरकार राजस्व संग्रहण, कानून परिवर्तन गणराज्य में संग्रह कर-पालन, सैन्य आपूर्ति करने में विफल हो जाता है तब निजी करण को अपनाने लगता है। विश्व भर में निजीकरण पहली बार सन 1930 में नाज़ी जर्मन के द्वारा उपयोग में लाया गया था। उसके बाद से विश्व में कई दशकों तक अलग-अलग देशों में इसका उपयोग देखा 1930 में जर्मनी में 1950 में ब्रिटेन में 1961 में फिर से जर्मनी में 1970 में शेख चिल्ली में 1980 में ब्रिटेन में उसके बाद यूएसए में 1993 में ब्रिटेन में सबसे बड़े स्तर पर रेलवे निजी करण की ...